मेरे पापा
उँगली पकड़ चलना सिखाया।
थाम हाथ मुश्किलों से लड़ना सिखाया।
गिरकर संभलना भी सिखाया।
हौसला भी मेरा हर वक्त बढ़ाया।
ना कोई गम मुझ पर आने दिया।
जीवन की हर ख़ुशी से रूबरू भी कराया।
मेरी दुनिया तो मेरे पापा ही हुए।
उन्होंने ही मुझे जिंदगी जीना भी सिखाया।
मेरी ख़ुशी मेरे पापा
छोड़ा जो हाथ कभी मेरा,
टूटने भी ना उन्होंने दिया।
कभी भी ना मुझको बिखरने दिया।
रोती जो मैं कभी हमेशा हँसकर मनाया।
होती जो उदास मैं कभी मुझे खुब हसाया।
बनकर ख़ुशी मेरे पापा हमेशा मेरे साथ होते।
दुनिया भर की खुशियाँ मेरे कदमों में ले आते।
पापा का प्यार
चलते-चलते जो थकी कभी मैं,
बढ़ाकर हाथ अपना तुमने ही तो संभाला।
चलते-चलते जो कभी रुकी मैं,
कदम-कदम पर खुद पर विश्वास भी तुमने कराया।
जिन्दगी में खाती जो अगर ठोकर मैं कभी,
हमेशा उन ठोकरों से भी तो तुमने ही बचाया।
भटकी जो मैं कभी रास्तों पर,
सही रास्तों की राह भी तुमने बताया।
यूँ ही रहना साथ हमेशा पापा,
हर मुश्किल से मुझे बचाना पापा।
वजह – मेरे पापा
मेरी हर ख़ुशी की वजह हैं मेरे पापा।
जिंदगी में मेरी कोई दुख ना आए,
इसकी भी वजह हैं मेरे पापा।
मेरी मुस्कुराहट की वजह हैं मेरे पापा।
मेरी जिंदगी की छोटी बड़ी ख़ुशी हैं मेरे पापा।
चलते जो हमेशा साथ मेरे ,
बनकर मेरी परछाई वो हैं मेरे पापा।
भुलाकर अपनी ख़ुशी,
मेरी ही ख़ुशी में ख़ुश रहते मेरे पापा।
मेरी जीने की वजह हैं मेरे पापा।
मेरी दुनिया
दुनिया में जब आई मैं,
हर ख़ुशी संग पाई मैंने।
होता किया दुख है,
ये तो कभी ना जान पाई मैं।
रहा पापा का साथ हमेशा,
और रहा संग हमेशा उनका प्यार।
हर वक्त जो पाया मैंने उनका आशीर्वाद।
हुई हर मुश्किल आसान।
रही जिंदगी भी खुशहाल।
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