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Poems About Promises

Poems About Promises In Hindi

वादों का सहारा

कर के वादा यूँ मुकर गए।

क्यों तुम ऐसे बिछड़ गए।

पल भर में साथ छोड़ कर,

तन्हा रास्तों में छोड़ गए।

अकेले राहों पर चले गए।

क्यों तुम उस मोड़ पर मुड़ गए।

छोड़ना था जब तन्हा ही,

फिर क्यों थामा था हाथ हमारा।

क्योंकि किये थे वादें झूठे।

तोड़ने को दिल हमारा,

क्यों लिया था वादों का सहारा।

एक वादा

छोड़ी थी हमने दुनिया जिसके खातिर।

आज उसी ने छोड़ दिया हमें किसी और के खातिर।

कितना भी चाहो तुम उसे टूट कर।

हम भी उतना ही चाहेंगे तुम्हें टूट कर।

मिले धोखा कभी उससे चाहत में।

तो आ जाना हमारे पास राहत में।

गले भी लगा लेंगे तुम को देख कर।

ना करेंगे कभी कोई शिकायत,

रहेंगे साथ तुम्हारे हर कीमत पर।

तुम भले ही ना चाहो अब हमें,

मगर हम चाहेंगे तुम्हें उम्र भर।

क्योंकि एक वादा किया हमने तुमसे,

एक मोड़ पर जब तुम भी चाहते थे हमें टूट कर।

वादें

किया खूब सिखा गए जीना।

हमें पता भी ना चला,

कैसे कब तुमने हमें बदल डाला।

तुमने अपने हिसाब से बदल डाला हमें,

फिर क्यों बिन बताए छोड़ गए हमें।

किये थे जो ढेरों वादें देने को उम्र भर साथ हमारे।

कैसे निकले अब उन वादों से कैसे खुद को संभाले अब हम।

वादों के पल

जिन पलों में किए थे वादें तुमने,

काश वो पल हम कैद कर सकते।

काश तुम्हारी बातों को,

हुई संग तुम्हारी उन मुलाक़ातों को,

बीते संग तुम्हारे उन पलों को,

काश हम कैद कर सकते।

आज फिर वो पल छू गया मुझको।

उस पल को, उसके एहसासों को।

कुछ पल ऐसे होते हैं,

जिन्हें हम कैद करना चाहते हैं।

पल तो भर में चले जाते हैं।

काश वो पल हम कैद कर सकते,

जिस पल कि थे वादे तुमने।

ना हो वादें हजार

ना करो तुम हजार वादें।

बस रहना तुम साथ हमारे।

ना करना कोई कसमें रस्में।

बस कभी दूर ना जाना हमसे।

चाहत हमको तुम्हारी चाहत की हैं।

ना कोई जरूरत हमें हीरे मोती की हैं।

चलना साथ-साथ हमारे हर कीमत पर।

देना साथ हमारा हर जरूरत पर।

वादों का धुंधलापन

धुंधला गयी आज यादें तेरी।

धुंधला गयी आज बातें वो तेरी।

धुंधला गए आज तेरे दिए हुए दर्द वो सारे।

साथ ही धुंधला गए आज वो किए गए झूठे वादें तेरे।

साथ ही हो गई नम आँखें भी हमारी।

क्योंकि धुंधला गई झूठी आशिकी वो तेरी।

वादें की याद

जो शामें तेरे नाम की,

उन शामों को याद कर।

उम्र भर तुझको ही चाहा,

उस चाहत को याद कर।

छोड़ जाने से पहले,

किए मुझसे अपने हर एक वादें को याद कर।

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माता पिता

माता पिता ही भगवान है।

इनसे ही जीवन का आधार है।

इन्हीं से जीवन में खुशियों की बहार है।

यही तो होते हर परिस्थिति में संग हमारे,

देते भी तो साथ हमेशा यही हैं।

धरती पर माता पिता ही तो वरदान है।

यही तो दुनिया के सबसे खूबसूरत अनुदान हैं।

परिवार

परिवार ही संसार है।

इन्हीं से हमारी पहचान है।

दुख में भी ले आते ये बहार है।

परिवार से ही जीवन में प्यार है।

ना गिरने देते और ना ही कभी भटकने देते है।

गिरते जो कभी संभालते भी यही है।

जिंदगी में सही राह भी बताते यही है।

जिंदगी में हजार रंग खुशियों के भी ये ले आते है।

भाई बहन

भाई बहन का ऐसा रिश्ता,

मानो जैसे कोई खुदा का फरिश्ता।

मगर नोक झोंक सुबह शाम झगड़ते।

जीवन सबसे ज्यादा बहस में गुजारते।

फिर भी हर शरारत में हमेशा साथ होते।

फंसाते हमेशा ही एक दूजे को साथ-साथ।

फिर भी करते हमेशा एक दूजे को प्यार।

करते हमेशा एक दूजे का सम्मान।

भाई बहन ही करते पार हर मुश्किल हर पड़ाव साथ-साथ।

मेरी इबादत

मेरी इबादत हो आप।

मेरी पहली मोहब्बत हो आप।

रब से भी पहले नाम लूँ,

मैं जिनका वो है मेरे माँ बाप।

मांगूँ बस यही दुआ,

हर जन्म बनूं आप ही की संतान।

रहे साथ हमेशा माँ बाप का प्यार।

रहे उम्र भर उनका आशीर्वाद।

खुदा के हसीन तोहफे

खुदा के तीन सबसे हसीन तोहफे –

माता-पिता, अध्यापक, दोस्त।

माता-पिता ने रास्ता बताया

अध्यापक ने रास्ते पर चलना सिखाया

दोस्त रास्तों पर साथ चला।

इन्हीं का हाथ थाम हर मुश्किल आसान हो जाती है।

इन्हीं का हाथ थाम दुनियादारी आ जाती है।

इन्हीं का हाथ थाम जिन्दगी गुजर जाती है।

इन्हीं का हाथ थाम जिन्दगी और भी हसीन हो जाती है।

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मेरे पापा

उँगली पकड़ चलना सिखाया।

थाम हाथ मुश्किलों से लड़ना सिखाया।

गिरकर संभलना भी सिखाया।

हौसला भी मेरा हर वक्त बढ़ाया।

ना कोई गम मुझ पर आने दिया।

जीवन की हर ख़ुशी से रूबरू भी कराया।

मेरी दुनिया तो मेरे पापा ही हुए।

उन्होंने ही मुझे जिंदगी जीना भी सिखाया।

मेरी ख़ुशी मेरे पापा

छोड़ा जो हाथ कभी मेरा,

टूटने भी ना उन्होंने दिया।

कभी भी ना मुझको बिखरने दिया।

रोती जो मैं कभी हमेशा हँसकर मनाया।

होती जो उदास मैं कभी मुझे खुब हसाया।

बनकर ख़ुशी मेरे पापा हमेशा मेरे साथ होते।

दुनिया भर की खुशियाँ मेरे कदमों में ले आते।

पापा का प्यार

चलते-चलते जो थकी कभी मैं,

बढ़ाकर हाथ अपना तुमने ही तो संभाला।

चलते-चलते जो कभी रुकी मैं,

कदम-कदम पर खुद पर विश्वास भी तुमने कराया।

जिन्दगी में खाती जो अगर ठोकर मैं कभी,

हमेशा उन ठोकरों से भी तो तुमने ही बचाया।

भटकी जो मैं कभी रास्तों पर,

सही रास्तों की राह भी तुमने बताया।

यूँ ही रहना साथ हमेशा पापा,

हर मुश्किल से मुझे बचाना पापा।

वजह – मेरे पापा

मेरी हर ख़ुशी की वजह हैं मेरे पापा।

जिंदगी में मेरी कोई दुख ना आए,

इसकी भी वजह हैं मेरे पापा।

मेरी मुस्कुराहट की वजह हैं मेरे पापा।

मेरी जिंदगी की छोटी बड़ी ख़ुशी हैं मेरे पापा।

चलते जो हमेशा साथ मेरे ,

बनकर मेरी परछाई वो हैं मेरे पापा।

भुलाकर अपनी ख़ुशी,

मेरी ही ख़ुशी में ख़ुश रहते मेरे पापा।

मेरी जीने की वजह हैं मेरे पापा।

मेरी दुनिया

दुनिया में जब आई मैं,

हर ख़ुशी संग पाई मैंने।

होता किया दुख है,

ये तो कभी ना जान पाई मैं।

रहा पापा का साथ हमेशा,

और रहा संग हमेशा उनका प्यार।

हर वक्त जो पाया मैंने उनका आशीर्वाद।

हुई हर मुश्किल आसान।

रही जिंदगी भी खुशहाल।

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पक्षी सी उड़ान

उड़ना है तो पक्षियों की तरह उड़ो।

जिंदगी की डोर हमेशा अपने पास रखो।

चुन-चुन दाना घोंसला अपना स्वयं बनाओ।

ऊँचे आसमान में उड़ाने भरो।

पंख न किसी को कतरने दो।

जिंदगी अपनी खुद पर निर्भर रखो।

ऊँची हो या नीची अपनी उड़ान स्वयं उड़ो।

राह भटके पक्षी

राह जो भटके पक्षी तुम।

खो दोगे अपना वजूद तुम।

वृक्ष ही तो है संसार तुम्हारा।

करना अपना यही बसेरा।

होगा हर दिन यही नया सवेरा।

राह भटक के जिंदगी ना खोना।

जिंदगी में ना राह भटकना।

चाल तुम अपनी ज़िन्दगी की चलना।

ए पक्षी तुम राह ना भटकना।

घोंसला- घरौंदा

करते हर जगह इंसान बसेरा।

तोड़कर पक्षियों का आशियाना।

खो देते पक्षी फिर अपना बसेरा।

जगह बनाते घर सारा।

घोंसला तोड़ कर घरौंदा बनाते।

पक्षी भी कब तक इंसान से बच पाते।

नादान पंछी

नादान है पंछी यहाँ।

उड़ते है जो हर जगह।

लम्बी होती है हर उड़ान उनकी।

होती है उड़ने की तमन्ना सबकी।

नादान से जो पंछी है उड़जाएंगे एक दिन।

ठहरना तो उनकी फितरत में नहीं एक भी दिन।

उड़ते-उड़ते जो ये धुन में गुनगुनाते है।

ऐसा हुनरमंद और कहां हम पाते है।

ख़ुशी हर पल की

जीते है पल-पल की वो जिंदगी।

पाते है हर पल की वो ख़ुशी।

करते ना जो जरा भी हार जीत की परवाह।

ना करते वो सुख दुख की चिंता।

जीते अपने मन की दुनिया।

रहते खुश वो अपने हर हाल में।

जीते जिंदगी वो हर पल ही अपने अंदाज की।

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चाहते ये बारिश की

यूँ ही ठंडी हवाएँ चल जाती हैं।

यूँ देख तुझे धड़कने बढ़ जाती है।

मन भी कुछ बहक सा जाता है।

चाहते भी बस में ना रह पाती है।

लिखूं कुछ तुझ पर जी मचल सा जाता है।

बारिश में भीगने का मन भी कर जाता है।

बारिश को देख कर चाहते बेकरार भी हो जाती है।

बचपन की बारिश

देख बारिश दिल बच्चा बन जाता है।

बचपन की वो बारिश का झूला बन जाता है।

देख बारिश दिल बचपन की यादों में खो जाता है।

बचपन की बारिश में नाव वाला समुद्र बन जाता है।

बारिश बचपन को ताजा कर जाता है।

देख बारिश वो गलियों का छोटा सा तालाब भी बन जाता है।

देख बारिश दिल फिर नादानियाँ करता है।

मौसम बदला यूँ बदला है

मौसम आज यूँ बदला है।

दिल तेरी चाहत में तरसा है।

तरसते है तेरी चाहत को,

जो बरस गई आँखें भी।

बादल से बरसता पानी,

आँखों को भी नम कर गया।

बादलों की गढ़ गढ़ाहट से,

चाहतों की बेघा भी तरसती है।

मौसम है सुहाना

मौसम है आज सुहाना,

दिल चाहता है तुम्हें और भी चाहना।

साँसों का कम होना, धड़कनो का बढ़ना,

चाहता है दिल और भी बेकरार होना।

महफ़िल छोड़कर संग तेरे तनहाइयों में आना।

पसंद आ गया है अब हमें भी ये मोहब्बत का जमाना।

किनारा अहसास का

हुई जो बरसात, जीने का सहारा मिल गया।

इस भीगी बरसात में संग तेरे,

भीगने का बहाना मिल गया।

करने को कुछ संग तेरे शरारत,

मौका ये दोबारा मिल गया।

मिल कर यूँ तुझ से,

अहसासों को किनारा मिल गया।

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जीवन का आधार है वृक्ष

जीवन का आधार है वृक्ष।

धरती का श्रृंगार है वृक्ष।

प्राण वायु दे रहे सभी को,

ऐसे परम उदार है वृक्ष।

ईश्वर के अनुदान है वृक्ष।

फल फूलो की खान है वृक्ष।

औषधि से भरपूर है वृक्ष।

ऐसे दिव्य महान है वृक्ष।

देते शीतल छाया वृक्ष।

लाखों जीव बसेरा करते,

जैसे सुन्दर गाँव है वृक्ष।

जन जीवन के साथ है वृक्ष।

खुशियों की बरसात है वृक्ष।

सभी के योगदान से धरती पर,

ले आते है ढेरों वरदान ये वृक्ष।

जीव जगत की भूख मिटाते,

स्वस्थ-स्वादिष्ट खान ले आते है वृक्ष।

बारिश धूप सब सह जाती ये वृक्ष।

देने को हमें आक्सीजन भरपूर,

बिजली आंधी-तूफान में भी दटे खड़े रहते ये वृक्ष।

हमारे जीवन की सुरक्षा के लिए प्रकृति की मार भी सह जाते ये वृक्ष।

सूखे पत्ते गिर जाते है छड़ जाते है,

मांगे सिर्फ भरपूर जल ये वृक्ष।

पतझड़ में पत्ते खोकर निराश कभी ना होते ये वृक्ष।

वसंत की उम्मीद में शाखाओं से दिए रहते ये वृक्ष।

ना कभी ये बूढ़े होते, जड़े भी संग बिखेरे जाते ये वृक्ष।

ना सोचते हैं कि आगे भी किया पनप पाएंगे हम,

फिर भी हमारा जीवन खुशियों से भर देते वृक्ष।

सूख भी अगर किन्हीं कारणों से जाते ये वृक्ष।

तब भी घरों में चूल्हा जला जाते ये वृक्ष।

टहनिया , तना काला पड़ जाता फिर भी बढ़ते जाते ये वृक्ष।

बचपन भी सुनहरा बनाते क्योंकि झुला भी अपनी टहनियो झुलाते ये वृक्ष।

बना देते जो हमारा जीवन इतना सुन्दर ये वृक्ष।

फिर क्यों ना करें हम वृक्षों की देखभाल।

हमारे लिए कितना कुछ सह जाती ये वृक्ष।

देते जो इतना सब होकर निस्वार्थ ये वृक्ष।

पर्यावरण की सुरक्षा हेतु शुरुआत करनी है पौधों से,

फिर बनने भी देना इन को वृक्ष।

तोड़ना नहीं कभी इनके फल फूल पत्तों को,

सुरक्षा हमें ही वृक्षों की अब करनी हैं।

संरक्षण वृक्षों की करना हमारा भी कर्तव्य बन जाता।

आओ सब मिल कर ले प्रण,

बीज बोना शुरू करेंगे, पौधों से वृक्ष भी बनने देंगे।

करेंगे हर रोज वृक्षारोपण।

क्योंकि वृक्ष है तो जग में जीवन है।

पौधे लगाओ, पौधे लगाओ

पौधे लगाओ, पौधे लगाओ।

जितना हो सके पौधे लगाओ।

अपने आसपास हर जगह लगाओ।

जितना हो सके इन्हें बढ़ाओ।

होंगे ना सब एक जैसे पौधे।

कुछ छाड़िया, कुछ जड़ी बूटियाँ,

कुछ ऊँचे नीचे, बड़े छोटे,

कुछ फल फूलो के साथ,

तो कुछ काटे संग खुशबू बिखेरे।

सभी पौधों को विकसित होने देना।

देखभाल दिनोरात करना।

सुरक्षा भी इनकी पूरी करना।

मासूम नन्हा बालक है ये भी,

मूरछाने भी ना इनको देना।

समय-समय पर पानी देना।

पेड़ भी इनको बनने देना।

पेड़ो में होता आक्सीजन भरपूर है।

इसलिए समय-समय पर पौधे लगाना भी महत्वपूर्ण है।

पेड़बन कर देगा पौधा भी छाया।

ज़रूरी है सुरक्षित जीवन का भी होना।

धरती की भी यही पुकार,

पौधे लगाना है, पेड़ है बचाना।

ख्याल रखो उन पौधे का

ख्याल रखो उन पौधे का,

जिन्होंने ख्याल हमारा रखा।

तुम समय-समय पर पानी दो,

क्योंकि समय पर आक्सीजन उसने दिया।

समय-समय भोजन भी भरपूर दिया।

बचपन के झूले संग वृक्षों का आनंद दिया।

धूप बारिश में शीतल छाया भी इन्होंने दिया।

जिंदगी भी खूबसूरत पर्यावरण ने बना दिया।

पर्यावरण है हमारा

पर्यावरण है हमारा,इसको है बचाना।

क्योंकि पक्षियों का भी है ये राज दुलारा।

करते है जो ढेरों पक्षी अपना बसेरा।

बनाते है जो यहाँ अपना घर सारा।

गुजारते है ये यहीं अपना जीवन सारा।

बन जाता है जो इनका यहाँ जहां सारा।

पर्यावरण ही तो है अनमोल हमारा।

यही है सबके जीवन का सहारा।

कली गुलाब की

कली जो गुलाब की खिल रही है,

तोड़ कर ना मूरछाने उसको देना।

पानी देकर हर रोज तुम,

खिलने उसको पूरा देना।

महक उसकी पूरी लेना।

कांटों से भी जरा संभल रहना।

कली गुलाब की खिलने देना।

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सच की दुनिया

सच की इस दुनिया में,

झूठ का हल्ला बोल है।

माने सब यहाँ झूठ को,

सच को ना माने कोई।

देखे सब यहाँ झूठ को,

सच को ना देखे कोई।

झूठ ने रूप ऐसा बदला,

सच को ना कोई समझ पाया।

सच्चाई की राह

सच्चाई की राह पर चलते-चलते,

क्यों लड़खड़ाए डगमगाए कदम यूं तेरे।

सच्चाई को बनाकर जिंदगी अपनी,

फिर क्यों साथ तुने इसका छोड़ा।

सच्चाई की राह पर चल फिर,

मिलो साथ ये देगी तेरे।

होगी थोड़ी कठिनाई यहाँ,

फिर जिंदगी भर का सुकून है।

सच को सच

सच को सच कहना सीखो।

झूठ का साथ छोड़ना सीखो।

झूठ देकर क्षण भर की ख़ुशी।

फिर छिन लेता उम्र भर की ख़ुशी।

सच देता उम्र भर का साथ।

देकर हमेशा सच का साथ।

सच

झूठ एक नई कहानी बनाता है,

सच की खुद ही एक कहानी है।

सच देकर थोड़ी कठिनाई,

उम्र भर को मजबूत बनाता है।

सच राहों को आसान कर,

असल मंजिल तक भी पहुँचाता है।

सुकून की तलाश

सुकून की तलाश में,

लिया झूठ का सहारा।

मिला सुकून कुछ पलका,

फिर जिंदगी भर का सुकून खोया।

लिया जो झूठ का सहारा

खोई खुद की पहचान।

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मेरी ख़ामोशी

ख़ामोशी मुझे पसंद है।

मेरी चारों ओर जो ख़ामोशी है,

मुझे बहुत कुछ सीखा रही है।

मेरे चारों ओर जो ख़ामोशी की हवा है,

वो मुझे बहुत ही सुंदर अहसास कराती है।

ख़ामोशी मुझे में उम्मीद जगातीहै।

ख़ामोशी मेरे आँसुओं को पीछे छोड़,

आगे बढ़ना सीखती है मेरा हौसला भी संग बढ़ाती है।

बहुत बार ख़ामोशी ही मेरी बहुत बढ़ी ताकत बन जाती है।

मेरा और ख़ामोशी का बहुत ही गहरा नाता है,

जो सिर्फ मैं ही समझ पाती हूँ।

एक ख़ामोशी ही है जो हमेशा मेरे साथ रहती है।

ख़ामोशी उनकी

ख़ामोशी बहुत कुछ कह जाती है।

ये दिल के कई अफ़साने बयां कर जाती है।

उनकी ख़ामोशी भी बहुत कुछ कह जाती है।

ख़ामोशी उनके दिल का हाल सुना जाती है।

खामोशी में वो सब कुछ कह जाते है

समझने की चाह

जिसको समझने की चाह हो,

वो ख़ामोशी भी समझलेते हैं।

जिसको समझने  की चाह ना हो,

वो जबान की भाषा भी नहीं समझते हैं।

सब कुछ

खामोशी  में वो सब कुछ कह जाते है।

आँखों ही आँखों मेंवोसब कुछ बयां कर जाते है।

बिन कुछ कहे दिल का हाल बता जाते है।

इशारों ही इशारों में वो इजहार भी,

अपनी मोहब्बत का कर जाते है।

वो ख़ामोश हैं

वो ख़ामोश हैं आज।

लौट आए हैं वो आज।

आँखें झुकी साथ ही नम आँखें हैं।

जबान ख़ामोश है, आँखें बोल रही हैं।

दिल भी सिसकता हुआ सुनाई दे रहा है।

चेहरे पर दर्द भीसाफ दिखाई दे रहा है।

वो ख़ामोश हो कर भी बहुत कुछ कह रहे हैं।

बहुत कुछ आज वो ख़ामोशी में कह रहे हैं।

मन की ख़ामोशी

मन में मेरे एक ख़ामोशी है,

एक चीखती हुई ख़ामोशी।

एक ख़ामोशी जो,

मेरे आंतरिक मन में चित्रित हुई है।

ख़ामोशी जो मेरे जीवन को,

शांति से शांति हीन कर देती है।

मेरे आंतरिक मन की ख़ामोशी,

मेरे जीवन को प्रभावित कर देती है।

न समझे कोई

मन की व्यथा न समझें कोई।

शोर मचाए चारों ओर  कोई।

दिल हैं नादान न समझें कोई।

अंदर ही अंदर तोड़े कोई।

ख़ामोश किया समझेगा कोई।

जब बातें जबान की ना समझ पाया कोई।

बहुत कुछ

थोड़ी सी नमी है आँखों में।

थोड़ी सी हँसी है चेहरेपर।

बहुत कुछ चाहते थे वो कहना हमसे।

जाने क्यों ख़ामोश ही चले गए वो यहाँ से।

तेरी ख़ामोशी

खामोशी को अपनी ज़िद बना लूँ।

तु बोले ना कुछ फिर भी मैं तुझे मना लूँ।

तेरी धड़कनों पर हक अपना जता लूँ।

तु कहें तो साँसों पर अपनी नाम तेरा ही लिखवा लूँ।

बातें जबान की

बातें जबान की जो रह जाती है।

वो ख़ामोशी, ख़ामोशी से कह जाती है।

ख़ामोशी अनसुनी सी बातें सुना जाती है।

ख़ामोशी वो कह जाती है,

जो जबान बोल ना पाती है।

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बचपन की जिंदगी

टूट गए वो खिलौने जिनसे बचपन गुजरा।

टूटा है वो झुला,टूटी है वो साइकिल।

छूट सा गया है कहीं वो बचपन।

छूटे है वो लोग संग जिनके बचपन गुजरा।

आता याद बहुत वो सुन्दर बचपन।

बचपन की बातें, बचपन की यादें।

कितनी प्यारी थी यारों वो जिंदगी हमारी।

बचपन का वक्त

बचपन का वक्त गुजर गया।

निराश भी हमें कर गया।

हौसला भी हमारा तोड़ गया।

बचपन की बाते छोड़ गया।

बचपन की यादें भी छोड़ गया।

संग खुशियाँ भी हमारी ले गया।

बचपन का वक्त भी गुजर गया।

बचपन

मन हैं उदास।

नहीं हैं कोई पास।

किसी के आने की हैं आस।

कोई तो आए, हमको हसाएँ।

जिने की एक आस जगाए।

फिर से वही बचपन ले आए।

धुंधलाता बचपन

धुंधला गयी आज बचपन की यादें।

धुंधला गयी आज बचपन की बातें।

धुंधला गए आज बचपन के वोयारा।

धुंधला गए आज वो बचपन के गलियारा।

धुंधला गई आज बचपन की वो सुनहरी जिंदगी।

धुंधला गया आज वो बचपन अपना।

धुंधला गया संग वो बचपन का सपना अपना।

सुनहरा बचपन

अब वो जिंदगी ही कहा हैजो पहले थी।

ना कल की फिक्र होती थी ना आज की चिंता रहती थी।

बचपन की जिंदगी खुशियाँ भरी होती थी।

अजीब सा समा है , अजीब सी दुनिया है।

कुछ अलग सा है , कुछ नया साल है।

दिन बदलते गए, लोग भी बदलते गए।

साथ ही बदल गई वो बचपन की जिंदगी अपनी।

एक बचपनकी ही तो जिंदगी मस्त होकर जीते थे।

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पल-पल की ख़ुशी

हँसते रहते हैं आज कल वज़ह ना जाने हम।

जिन्दगी खूबसूरत हुई है देख के हैरान है हम।

जिन्दगी का हर लम्हा खुशनुमा है,

जिन्दगी की हर राह खुशनुमा है,

हर एक पल की ख़ुशी है पल-पल की ख़ुशी है।

खिल खिलाती कली

कली गुलाब सी खिल रहे हो आप।

यूँ ही खुशियों से महकते रहो आप।

कली गुलाब सी निखर रहे हो आप।

यूँ ही खिल खिलाते हमेशा रहो आप।

आज की खुशियाँ

आज की छोटी-छोटी बातें,

कल की खूबसूरत यादें बन जाती हैं।

आज छोटी-छोटी बातों में खुशियों ढूँढो,

कल बड़ी-बड़ी खुशियाँ खुद हमारा पता पुछेंगी।

आज जो भी है उससे जिन्दगी खूबसूरतबनाओ।

किसे पता कल जिन्दगी रहे न रहे,

जो भी है अपने आज में ख़ुश रहना सीखो।

खुशियों का खजाना

खुशियों का पिटारा।

पल भर का है ये खेल सारा।

जी लो जी भर ये दिन है तुम्हारा।

जिंदगी है खुशियों का खजाना।

  ख़ुशी की कला

दोस्तों, जिन्दगी में गम है तो,

जिन्दगी जीने का मजा भी है।

अगर जिन्दगी में गम ना हो तो,

जिन्दगी खाली राह सी बन जाएगी।

जहाँ से हम सिर्फ खाली राह पर आगे चलते जाएंगे।

बिना किसी उतार चढ़ाव के हम कुछ नहीं सिख सकते।

इसलिए जिन्दगी में गम आए तो उसे हँसते हुए दूर करे।

जिंदगी की ख़ुशी

खिल उठा चेहरा आज हमारा भी तुम्हें ख़ुश देख कर।

दुआ है हमारी यूँ ही खिल खिलाते रहो तुम उम्र भर।

ना आए कोईगम जिंदगी में तुम्हारी उम्र भर।

खुशियाँ मिलती रहे तुम्हेंसारी दुनिया की उम्र भर।

ख़ुशी

किसी के मुस्कुराने की वजह बन जाओ।

करे हर कोई प्यार तुमसे वो इंसान बन जाओ।

जिस राह पर कोई तुम्हारा हाथ थाम सके वो मुसाफिर खास बन जाओ।

कर जो तुम पर हर कोई विश्वास वो अनकहा सा राज बन जाओ।

लाकर जिंदगी में किसी की ढेरों खुशियाँवो फरिश्ता भी खास बन जाओ।

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