Poems on Female Feticide

अजन्मी ही ना जन्मी

मैं अजन्मी क्यों न जन्मी,

दुनिया क्यों ना दिखाई मुझे।

मां तुझसे तो मिल ली मैं,

पापा से क्यों न मिलाया मुझे।

क्या मैं तुझसे अनजान थी माँ।

तू तो कितना चाहती थी मुझे,

फिर क्यों तुने मुझे ना जन्म दिया।

किस डर से तुने इस दुनिया में ना आने दिया।

पापा से तो मिला मां दे एक बार मुझे।

जो कहेगी मां वो हर बात मैं मानूंगी।

बन कर बेटी कोख में तेरी फिर कभी ना मैं पलूंगी।

दुनिया में आने दो

कभी हमें इस दुनिया में आनेनहीं देते हो।

कभी इस दुनिया में आने से पहले ही मार देते हो।

कभी दुनिया में लाकर पल-पल दर्द देते हो।

कभी हमें जिने नहीं देते हो।

तो कभी हमसे हमारे सारे सपने छिन लेते हो।

कभी तो हम को जीने दो।

कभी तो सपने देखने दो।

उन सपनों को साकार भी करने दो।

कीमत आँसुओं की

अगर उसके आँसुओं की कीमत बाजार में होती तो,

शायद वो भी अमीरों की लंबी कतार में होती।

बेजबान मासूम की आंखों में एकबार झाँका तो होता,

उसकीदुनिया में आने की चाह को आंका तो होता।

उस पाक रूह को तुमने ख्वाहिशों का जरिया समझ लिया।

इस कदर उसका जीना शर्मसार कर दिया।

नन्ही जान

रौंद के एक पूरी जिंदगी बेपरवाह से रहते है।

जाने कैसे लोग है वो जो गर्भ में मौत करा देते है।

सम्पूर्ण विश्व ने जननी कहा है,

जिसे देवी समाजनेबना कर पूजा है।

जिस का तिरस्कार जन्म से पूर्व हो जाता है।

गर्भ से संसार में आने तक नहीं दिया जाता है

गर्भ में पनपती जिंदगी का संहार किया जाता है।

दानवों सी कौम को यहाँ फिर इन्सान कहा जाता है।

एक पलभर भी नहीं सूझता के कैसी होगी वो नन्ही जान।

दुनिया में आने से पहले ही जिन्हें मार दिया जाता है।

बेटा समान बेटी

नन्ही परी को मारकर,

खुद वो कैसे जी सकते है।

लक्ष्मी, सरस्वती जैसे रूप को,

क्यों बेटी रूप में स्वीकार ना करते है।

ना जाने क्यों उन्हें,

बेटा समान ना मानते है।

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