पक्षी सी उड़ान
उड़ना है तो पक्षियों की तरह उड़ो।
जिंदगी की डोर हमेशा अपने पास रखो।
चुन-चुन दाना घोंसला अपना स्वयं बनाओ।
ऊँचे आसमान में उड़ाने भरो।
पंख न किसी को कतरने दो।
जिंदगी अपनी खुद पर निर्भर रखो।
ऊँची हो या नीची अपनी उड़ान स्वयं उड़ो।
राह भटके पक्षी
राह जो भटके पक्षी तुम।
खो दोगे अपना वजूद तुम।
वृक्ष ही तो है संसार तुम्हारा।
करना अपना यही बसेरा।
होगा हर दिन यही नया सवेरा।
राह भटक के जिंदगी ना खोना।
जिंदगी में ना राह भटकना।
चाल तुम अपनी ज़िन्दगी की चलना।
ए पक्षी तुम राह ना भटकना।
घोंसला- घरौंदा
करते हर जगह इंसान बसेरा।
तोड़कर पक्षियों का आशियाना।
खो देते पक्षी फिर अपना बसेरा।
जगह बनाते घर सारा।
घोंसला तोड़ कर घरौंदा बनाते।
पक्षी भी कब तक इंसान से बच पाते।
नादान पंछी
नादान है पंछी यहाँ।
उड़ते है जो हर जगह।
लम्बी होती है हर उड़ान उनकी।
होती है उड़ने की तमन्ना सबकी।
नादान से जो पंछी है उड़जाएंगे एक दिन।
ठहरना तो उनकी फितरत में नहीं एक भी दिन।
उड़ते-उड़ते जो ये धुन में गुनगुनाते है।
ऐसा हुनरमंद और कहां हम पाते है।
ख़ुशी हर पल की
जीते है पल-पल की वो जिंदगी।
पाते है हर पल की वो ख़ुशी।
करते ना जो जरा भी हार जीत की परवाह।
ना करते वो सुख दुख की चिंता।
जीते अपने मन की दुनिया।
रहते खुश वो अपने हर हाल में।
जीते जिंदगी वो हर पल ही अपने अंदाज की।
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