कभी तो शुरुआत करनी होगी
कभी तो शुरुआत करनी होगी।
मंजिल अपनी पानी होगी।
मंजिल कितनी दूर सही।
इंसान कितना मजबूर सही।
राहों में कठिनाई कितनी सही।
ख्याल रहे हौसला कभी टूटे नहीं।
सपनों का घोंसला कभी छूटें नहीं।
पक्षी बन एक दिन उङ जाना है।
संग ले चल सपने अपने
उनकों पूरा कर दिखाना है।
कभी तो खुद की पहचान बनानी होगी।
कभी तो शुरुआत करनी होगी।
उलझनों से खेलने दो मुझे
उलझनों से खेलने दो मुझे,
सुलझना मुझे आता है।
मुश्किलों में पड़ने दो मुझे,
लड़ना भी मुझे आता है।
छोड़ दें जमाना साथ मेरा,
अकेला जीना भी मुझे आता है।
जिन्दगी कितना भी रुलाए
जिन्दगी कितना भी रुलाए,
हमेशा हँसते ही रहना।
जिन्दगी कितना भी निराश करे,
हमेशा मन में आशाएँ रखना।
जिन्दगी कितना मजबूर करें,
हमेशा मजबूत बने रहना।
कितना भी आंधी या तूफान आए, बस चट्टान की तरह दटे रहना।
हमेशा खुद पर आत्मविश्वास बनाए रखना
किसी के धोखे से टूटना मत
किसी के धोखे से टूटना मत।
मत बिखरने देना खुद को
मत खो न अपना वजूद
धोखे से मजबूत बनो
सबक भी उससे सिखों
खुद को इतना मजबूत बनाओं
सामने वाला खुद टूट जाए
तुम्हे इतना मजबूत देख कर।
ए-जिन्दगी तू देख मुझे
ए-जिन्दगी तू देख मुझे,
मैं कितना बदल गई हूँ।
मैं कितना संभल गई हूँ।
मैं कितना सवर गई हूँ।
ए-जिन्दगी तू देख मुझे,
तूने कितना हराया पर मैं हारी नहीं।
तूने कितना रुलाया पर मैं रोई नहीं।
तूने कितना गिराया पर मैं गिरि नहीं।
ए-जिन्दगी तू देख मुझे,
तेरी हर चुनौती को स्वीकार किया।
तेरी हर चुनौती को मात दिया।
हर मुश्किल को आसान किया।
ए-जिन्दगी तू देख मुझे।
उठ जा मुसाफ़िर फिर भोर आई हैं
उठ जा मुसाफ़िर फिर भोर आई हैं।
नईं जिन्दगी की नईं कहानी लाईं हैं।
चल आ चल फिर से उठ खड़े होते हैं।
जहाँ रुका था वही से शुरुआत करते हैं।
चल फिर एक नईं कहानी लिखते हैं।
ये नईं भोर ढेरों खुशियाँ लाई हैं। उठ जा मुसाफ़िर फिर भोर आई हैं।
नोट: कवितायेँ कैसे लगी आप हमें जरुर बताएं
Bhot khubsurat kavita
Thank you so much