Category: Poems And Shayari

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Mother’s Day Poems in Hindi

जग को रोशन करने वाली

जग को रोशन करने वाली,
छिन जाती रोशनी उसकी।
जग को जन्म देने वाली,
छिन जाती जिन्दगी उसकी।
दिया जन्म नई जिन्दगी को,
देकर उसने अपनी जिन्दगी।
खुद के लिए ना लड़ने वाली,
लड़ जाती वो सारे जग से
चंडी रूप में आ जाती वो
जब बात उसकी संतान पर आती।

माँ

ढ़लते सूरज की चाँदनी है।
हर अंधेरी रात की भोर है।
घनघोर बादल की रोशनी है।
उगते सूरज की प्रतीक है।
मुसीबत में उम्मीद की किरण है।
भटकतो की नई दिशा है।
शक्ति का अस्तित्व है।
वो कोई और नहीं, एक माँ है।

जग को जीवन देने वाली

जग को जीवन देने वाली,
तेरी किया पहचान है।
जन्म लेती बेटी बनकर
फिर बनती पत्नी है
फिर बनती वो माँ है
जग को जीवन देने वाली,
तेरी किया पहचान है।
बेटी बनकर करती घरेलू कारोबार है
पत्नी बनकर भी संवारती घर संसार है
माँ बनकर भी संभालती सारा जग संसार है
जग को जीवन देने वाली,
तेरी किया पहचान है।
चार दीवारी में जन्म लेकर
चार दीवारी में कैद रहकर
चार दीवारी में ही जीवन खत्म करती है
जग को जीवन देने वाली,
तेरी किया पहचान है।

मेरी माँ

वो शख्स, जिसने हर कदम पर संभाला।
वो शख्स, जिसने हर उलझन से निकाला।
वो शख्स, जिसने मुसीबत से लड़ना सिखाया।
वो शख्स, जो हर परिस्थिती में साथ रहा।
वो शख्स, जिसने हमेशा हौसला बढ़ाया।
वो शख्स मेरा दोस्त है।
वो शख्स मेरी जिन्दगी है।
वो शख्स कोई और नहीं,
वो सिर्फ और सिर्फ मेरी माँ है।

प्यारी माँ

माँ है प्यारी, सबसे दुलारी।
तू ही तू है सबसे न्यारी।
माँ भरोसा है, माँ हकीकत है।
माँ एक तू ही मेरी साथी है।
तेरी भक्ती, तेरा सम्मान।
तेरे चरणो में है सारे जग का प्यार।
माँ ही शुभ, माँ ही मंगल
माँ लक्ष्मी की मूरत है।
माँ सरस्वती सी ज्ञानी है।
माँ के चरणो में ही बितानी ये जिंदगानी हैं।

नोट: कविता कैसे लगी आप हमें जरुर बताएं

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Short Motivational Poems In Hindi

कभी तो शुरुआत करनी होगी

कभी तो शुरुआत करनी होगी।
मंजिल अपनी पानी होगी।
मंजिल कितनी दूर सही।
इंसान कितना मजबूर सही।
राहों में कठिनाई कितनी सही।
ख्याल रहे हौसला कभी टूटे नहीं।
सपनों का घोंसला कभी छूटें नहीं।
पक्षी बन एक दिन उङ जाना है।
संग ले चल सपने अपने
उनकों पूरा कर दिखाना है।
कभी तो खुद की पहचान बनानी होगी।
कभी तो शुरुआत करनी होगी।

उलझनों से खेलने दो मुझे

उलझनों से खेलने दो मुझे,
सुलझना मुझे आता है।
मुश्किलों में पड़ने दो मुझे,
लड़ना भी मुझे आता है।
छोड़ दें जमाना साथ मेरा,
अकेला जीना भी मुझे आता है।

जिन्दगी कितना भी रुलाए

जिन्दगी कितना भी रुलाए,
हमेशा हँसते ही रहना।
जिन्दगी कितना भी निराश करे,
हमेशा मन में आशाएँ रखना।
जिन्दगी कितना मजबूर करें,
हमेशा मजबूत बने रहना।
कितना भी आंधी या तूफान आए, बस चट्टान की तरह दटे रहना।
हमेशा खुद पर आत्मविश्वास बनाए रखना

किसी के धोखे से टूटना मत

किसी के धोखे से टूटना मत।
मत बिखरने देना खुद को
मत खो न अपना वजूद
धोखे से मजबूत बनो
सबक भी उससे सिखों
खुद को इतना मजबूत बनाओं
सामने वाला खुद टूट जाए
तुम्हे इतना मजबूत देख कर।

ए-जिन्दगी तू देख मुझे

ए-जिन्दगी तू देख मुझे,
मैं कितना बदल गई हूँ।
मैं कितना संभल गई हूँ।
मैं कितना सवर गई हूँ।
ए-जिन्दगी तू देख मुझे,
तूने कितना हराया पर मैं हारी नहीं।
तूने कितना रुलाया पर मैं रोई नहीं।
तूने कितना गिराया पर मैं गिरि नहीं।
ए-जिन्दगी तू देख मुझे,
तेरी हर चुनौती को स्वीकार किया।
तेरी हर चुनौती को मात दिया।
हर मुश्किल को आसान किया।
ए-जिन्दगी तू देख मुझे।

उठ जा मुसाफ़िर फिर भोर आई हैं


उठ जा मुसाफ़िर फिर भोर आई हैं।
नईं जिन्दगी की नईं कहानी लाईं हैं।
चल आ चल फिर से उठ खड़े होते हैं।
जहाँ रुका था वही से शुरुआत करते हैं।
चल फिर एक नईं कहानी लिखते हैं।
ये नईं भोर ढेरों खुशियाँ लाई हैं। उठ जा मुसाफ़िर फिर भोर आई हैं।

नोट: कवितायेँ कैसे लगी आप हमें जरुर बताएं