Poems About Friendship

गहरी मित्रता

भले ही ना हो बातें हो रोज।

और ना ही हो मुलाकातें हर रोज।

फिर भी होते हर मुश्किल में एक साथ।

देते थे हमेशा एक दूजे का साथ।

यही तो है गहरी मित्रता का नाम।

यारा

मैंने किसी अनजान को अपना बनते देखा है।

यारा तुने जब से हाथ है मेरा थामा,

मैंने तब से जिंदगी को सँवरते भी देखा है।

अपने गमों को भी ख़ुशी में बदलते देखा है।

तुझसे बात करने की ख़ुशी,

तुझसे मिलने की खुशी,

तेरे साथ होने की ख़ुशी

ए दोस्त, शब्दों में ना कर पाऊँ बयां।

भावुक किसी शायर को भी इतना पहली बार देखा है।

दोस्ती

किसी और को पाने की हसरत ना रही।

अब खुद को भी खोने की फ़ितरत ना रही।

जब से तेरे जैसा दोस्त है पाया,

तब से किसी और दोस्त की जरूरत भी ना रही।

लाखों खुशियाँ तुझ पर कुर्बान करूँ।

जो तुझसा दोस्त है पाया शुक्रिया भी मैं उस खुदा का करूँ।

याराना

अपना याराना कुछ ऐसा था

ना कभी खाई थी कसमें,

ना ही कभी किये थे वादे,

एक दूजे से मिलने बिछड़ने के।

फिर रहे साथ हमेशा एक दूजे के।

भुला कर सारे गम, बिछाए फूल हर राह पर।

गमों के तोड़कर बंधन सारे,चमक सितारों सी वो खुशियाँ ले आया।

भूल कर भी ना छोड़े साथ एक दूजे का,

ऐसा था अनोखा याराना हमारा।

सोहबत है उस दोस्त की

सफर पर तो अकेले ही निकले थे।

क्या खबर थी यूँ हम राह दोस्त बनेंगे।

सोचा ना था अकेले सफर में कोई साथी मिलेगा।

हर मुश्किल में हर राह आसान कर गया।

चाहत नहीं है अब किसी मंजिल की।

ख्वाहिश है बस सिर्फ उस दोस्त की।

ना ख्वाहिश है अब कुछ पाने खोने की।

ख्वाहिश है दोस्त की सोहबत की।

यह भी पढ़ें:

Poems On Female Feticide In Hindi

Poems About Sun & Moon In Hindi

kashyap anjali

Thoughts on my mind Positive thoughts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *