Poems In Hindi

क्या तुम वही हो

एक बार खुद से पूछो,

क्या तुम वही हो,

जो पहले कभी थे।

जो हर पल मुस्कुराया करता था।

जो अपने ही ख्यालों में खोया रहता था।

जो हजार उलझनों के होते हुए भी,

हमेशा संघर्ष करता रहता था।

एक बार खुद से पूछो,

क्या तुम वही हो,

जो पहले कभी थे।

क्यों नहीं समझा

मैंने मेरी जिंदगी को क्यों नहीं समझा।

हर बार मुझे धोखा मिला।

प्यार के बदले नफ़रत पाया।

मेरा दामन फिर भी खाली ही रहा।

उम्र भर गलती करता रहा।

नादान बन कर जिंदगी गुजार दिया।

मैंने मेरी जिंदगी को क्यों नहींसमझा।

अचानक कुछ याद आया

अचानक कुछ याद आया।

मैं किसी को याद ना आया।

मेरा दिल बहुत घबराया।

मैंने फिर दिल को समझाया।

चलना होगा अकेले ही,

क्योंकि आया भी था अकेले ही।

अचानक कुछ याद आया।

मैं किसी को याद ना आया।

ख्वाब था छोटा सा अनोखा सा

ख्वाब था एक छोटा सा अनोखा सा।

छोटे से आशियानें में संभाले रखा था।

जो था सबसे प्यारा, जिंदगी से भी ज़्यादा

ना जाने कैसे दूर हो गया आशियानें से।

कैसे ढूंढे ख्वाब अपना अनोखा सा।

ख्वाब था एक छोटा सा अनोखा सा।

मैं तो मैं हूँ

मैं तो मैं हूँ।

तुम किया जानों मुझे।

मुझे तो बस मैंने जाना।

मुझे तो बस मैंने ही संभाला।

मैं तो में हूँ।

मुझे तो मेरे दिल ने ही समझा।

मेरे साथ तो मेरी परछाई चली।

मेरे लिए तो बस मैं हूँ।

मैं कौन हूँ ?

मैं कौन हूँ?

अनकही कहानी हूँ?

अनसुलझी पहेली हूँ?

भटकता मुसाफ़िर हूँ?

एक अनकहा सा राज हूँ?

मैं कौन हूँ?

खुद के लिए काफ़ी हैं

खुद के लिए काफ़ी हैं,

काफ़ी हैं खुद के लिए।

चल लेंगे अकेले ही हम।

लड़ लेंगे अकेले ही हम।

ना होगा कोई सुख दुख में संग,

तो मुस्कुरादेंगे अकेले गम में भी हम।

ना होगा कोई बात करने को संग,

तो बात भी कर लेंगे अपनी परछाई से हम।

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