Short Poems About Silence In Hindi
मेरी ख़ामोशी
ख़ामोशी मुझे पसंद है।
मेरी चारों ओर जो ख़ामोशी है,
मुझे बहुत कुछ सीखा रही है।
मेरे चारों ओर जो ख़ामोशी की हवा है,
वो मुझे बहुत ही सुंदर अहसास कराती है।
ख़ामोशी मुझे में उम्मीद जगातीहै।
ख़ामोशी मेरे आँसुओं को पीछे छोड़,
आगे बढ़ना सीखती है मेरा हौसला भी संग बढ़ाती है।
बहुत बार ख़ामोशी ही मेरी बहुत बढ़ी ताकत बन जाती है।
मेरा और ख़ामोशी का बहुत ही गहरा नाता है,
जो सिर्फ मैं ही समझ पाती हूँ।
एक ख़ामोशी ही है जो हमेशा मेरे साथ रहती है।
ख़ामोशी उनकी
ख़ामोशी बहुत कुछ कह जाती है।
ये दिल के कई अफ़साने बयां कर जाती है।
उनकी ख़ामोशी भी बहुत कुछ कह जाती है।
ख़ामोशी उनके दिल का हाल सुना जाती है।
खामोशी में वो सब कुछ कह जाते है
समझने की चाह
जिसको समझने की चाह हो,
वो ख़ामोशी भी समझलेते हैं।
जिसको समझने की चाह ना हो,
वो जबान की भाषा भी नहीं समझते हैं।
सब कुछ
खामोशी में वो सब कुछ कह जाते है।
आँखों ही आँखों मेंवोसब कुछ बयां कर जाते है।
बिन कुछ कहे दिल का हाल बता जाते है।
इशारों ही इशारों में वो इजहार भी,
अपनी मोहब्बत का कर जाते है।
वो ख़ामोश हैं
वो ख़ामोश हैं आज।
लौट आए हैं वो आज।
आँखें झुकी साथ ही नम आँखें हैं।
जबान ख़ामोश है, आँखें बोल रही हैं।
दिल भी सिसकता हुआ सुनाई दे रहा है।
चेहरे पर दर्द भीसाफ दिखाई दे रहा है।
वो ख़ामोश हो कर भी बहुत कुछ कह रहे हैं।
बहुत कुछ आज वो ख़ामोशी में कह रहे हैं।
मन की ख़ामोशी
मन में मेरे एक ख़ामोशी है,
एक चीखती हुई ख़ामोशी।
एक ख़ामोशी जो,
मेरे आंतरिक मन में चित्रित हुई है।
ख़ामोशी जो मेरे जीवन को,
शांति से शांति हीन कर देती है।
मेरे आंतरिक मन की ख़ामोशी,
मेरे जीवन को प्रभावित कर देती है।
न समझे कोई
मन की व्यथा न समझें कोई।
शोर मचाए चारों ओर कोई।
दिल हैं नादान न समझें कोई।
अंदर ही अंदर तोड़े कोई।
ख़ामोश किया समझेगा कोई।
जब बातें जबान की ना समझ पाया कोई।
बहुत कुछ
थोड़ी सी नमी है आँखों में।
थोड़ी सी हँसी है चेहरेपर।
बहुत कुछ चाहते थे वो कहना हमसे।
जाने क्यों ख़ामोश ही चले गए वो यहाँ से।
तेरी ख़ामोशी
खामोशी को अपनी ज़िद बना लूँ।
तु बोले ना कुछ फिर भी मैं तुझे मना लूँ।
तेरी धड़कनों पर हक अपना जता लूँ।
तु कहें तो साँसों पर अपनी नाम तेरा ही लिखवा लूँ।
बातें जबान की
बातें जबान की जो रह जाती है।
वो ख़ामोशी, ख़ामोशी से कह जाती है।
ख़ामोशी अनसुनी सी बातें सुना जाती है।
ख़ामोशी वो कह जाती है,
जो जबान बोल ना पाती है।
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