तुम
वो किताब हो तुम,
जिसे हर रोज मैं पढ़ती हूँ।
वो डायरी हो तुम,
जिसे हर रोज मैं लिखती हूँ।
वो गजल हो तुम,
जिसे हर रोज मैं सुनती हूँ।
वो राज हो तुम,
जिसे हर रोज मैं समझती हूँ।
वो इंसान हो तुम,
जिसे हर रोज मैं चाहती हूँ।
चेहरे की चाँदनी
उसकी तो एक झलक ही काफ़ी है।
उसकी तो हर एक अदा निराली है।
किया कहना यारों तस्वीर जो उसकी।
तस्वीर में तो है रोशनी ऐसी उसकी।
चेहरे में तो है ही चाँदनी उसकी।
दीवाना
किया कहना यारों उसकी अदा का।
फिदा है ये दीवाना उसकी एक नज़र का।
तड़पता है ये दिल उसकी एक झलक को।
मन ही मन चाहने लगा है ये दिल उसको।
पहचान
करे किया बात पुरानी।
चेहरा भी था उसका नूरानी।
देखते ही एक झलक उसकी।
खो गई यारों पहचान हमारी।
उनका ख्याल
करके ख्यालउनका ख्याल आ गया।
करते ही याद उनका पैगाम आ गया।
देखते ही आईना उनका चेहरा भी दिख गया।
देखते ही सामने उनको गम भी दूर हो गया।
गले लगते ही उनसे दिल को आराम आ गया।
तुझे देख कर
बस तुझे देख लेते हैं तो,
दिल को सुकून मिल जाता है।
बस तुझे देख लेते हैं तो,
हर गम भी मिट जाता है।
तुझ से बात कर लेते हैं तो,
चेहरे पर मुस्कान भी आ जाती है।
तुझ से गले मिलते हैं तो,
तेरी धड़कनों में नाम भी अपना ही सुनते हैं।
दिल का रिश्ता
जाने कैसा होता है ये दिल का रिश्ता।
बिन बोले एक दूजे को समझता।
किसी को दिल देकर खुद को भी भुला देता।
एक अनजाना सा अहसास होता।
किसी से प्यार कर उसका इजहार करना।
सच में बड़ा ही कमाल का होता ये रिश्ता।
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